नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह याचिका दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन द्वारा दायर की गई है, जिसमें पुराने वाहनों को ईंधन न देने के आदेश के अनुपालन में पेट्रोल पंप मालिकों को दंडित करने के सरकारी आदेश को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति मीनाक्षी पुष्कर्णा ने दोनों पक्षों से जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए सितंबर में सूचीबद्ध किया।
याचिका में कहा गया है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192 के तहत पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करना अवैध और अनुचित है, क्योंकि वे कानूनन ऐसे आदेशों को लागू करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
सीएक्यूएम के निर्देशों के तहत 1 जुलाई से दिल्ली के सभी पेट्रोल पंपों को 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन देने से मना किया गया है। इसके लिए परिवहन विभाग, दिल्ली पुलिस और ट्रैफिक पुलिस ने संयुक्त रूप से निगरानी और अनुपालन की रणनीति बनाई है।
याचिकाकर्ता के वकीलों — आनंद वर्मा, अद्याशा नंदा और अपूर्वा पांडे — ने कहा कि पेट्रोल पंप मालिक पर्यावरण नियमों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें बिना कानूनी अधिकारों के निगरानी के लिए बाध्य किया जाना और चूक पर दंडित करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि एक पेट्रोल पंप पर रोजाना औसतन 3,000 वाहन आते हैं और इतनी भारी संख्या में वाहनों की निगरानी में त्रुटि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद यदि पंप कर्मचारियों से कोई अनजाने में चूक हो जाए तो उन्हें मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुकदमे का सामना करना पड़ता है, जो अनुचित है।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि मोटर वाहन अधिनियम के तहत किसी प्रकार की कार्रवाई की जाती है, तो उसकी जानकारी न्यायालय को दी जानी चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि पेट्रोल पंप मालिक तेल कंपनियों के साथ अनुबंध के तहत कार्यरत निजी संस्थाएं हैं, न कि सरकारी एजेंसियां। ऐसे में उन्हें कानून लागू करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता और ऐसा करना कानून के शासन के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
हालांकि याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाना आवश्यक है, लेकिन यह कदम विधिसम्मत और न्यायपूर्ण तरीके से उठाया जाना चाहिए।
ध्यान देने योग्य है कि CNG से चलने वाले पुराने वाहनों को इस आदेश से छूट दी गई है।
2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और 2014 के एनजीटी आदेश के तहत दिल्ली में 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर पहले से ही प्रतिबंध है।