National Herald case: नेशनल हेराल्ड मामला: सोनिया गांधी ने कोर्ट में ईडी के केस को बताया ‘अभूतपूर्व और अजीब’

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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर केस को अदालत में “अभूतपूर्व और बेहद अजीब” बताया।

उन्होंने कहा, “यह वास्तव में एक अजीब केस है। इससे भी ज्यादा अजीब — यह अभूतपूर्व है। यह एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है जिसमें न तो कोई संपत्ति है, न ही संपत्ति का उपयोग या प्रदर्शन।”

ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के साथ-साथ सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड पर ₹2,000 करोड़ से अधिक मूल्य की एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों के फर्जी अधिग्रहण के आरोप लगाए हैं।

ईडी का आरोप है कि गांधी परिवार यंग इंडियन में 76% हिस्सेदारी के मालिक हैं और यह संस्था AJL की संपत्तियों को ₹90 करोड़ के ऋण के बदले अवैध रूप से अपने अधीन कर चुकी है।

इस पर सिंघवी ने दलील दी कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य AJL को कर्जमुक्त करना था। उन्होंने कहा, “हर कंपनी अपने कर्ज को दूसरी संस्था को सौंपकर बैलेंस शीट सुधारने का अधिकार रखती है। यही यहां भी किया गया।”

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उन्होंने यह भी कहा कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी संस्था है, जो लाभांश, वेतन या बोनस नहीं दे सकती। “ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग की बात कहां से आती है?” उन्होंने पूछा।

सिंघवी ने आगे कहा कि ईडी ने कई सालों तक कोई कार्रवाई नहीं की और बाद में एक प्राइवेट कंप्लेंट के आधार पर मामला उठाया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस से जुड़ी संस्था नेशनल हेराल्ड को अगर किसी गैर-कांग्रेसी संस्था को दे दिया जाए, तो ये वैसा ही होगा जैसे बिना डेनमार्क के प्रिंस के ‘हैमलेट’ नाटक।”

सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि यह कोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिए प्रासंगिक क्षेत्राधिकार नहीं रखता

इससे पहले 3 जुलाई को एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि गांधी परिवार यंग इंडियन के “लाभार्थी स्वामी” हैं और अन्य शेयरधारकों की मृत्यु के बाद उन्होंने पूरी कंपनी पर नियंत्रण हासिल कर लिया।

ईडी ने धारा 3 और 4 के तहत चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, सुनिल भंडारी, यंग इंडियन और डॉटेक्स मर्चेंडाइज प्रा. लि. को भी आरोपी बनाया गया है।

अब अदालत यह तय करेगी कि इस मामले में आरोप तय किए जाएं या नहीं। मामला राजनीतिक रूप से भी काफी अहम माना जा रहा है।

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