नई दिल्ली: राजधानी की सड़कों पर रोज लाखों महिलाएं काम के लिए निकलती हैं—कोई फैक्ट्री में, कोई दफ्तर में, तो कोई दिहाड़ी पर। लेकिन हर मां के मन में यही सवाल रहता है—बच्चा किसके भरोसे छोड़ें? इसी चिंता का समाधान देने के लिए दिल्ली सरकार ने नई पहल ‘पालना योजना’ की घोषणा की है।
सरकार के मुताबिक, इस योजना के तहत दिल्ली भर में 500 पालना क्रेच खोले जाएंगे, ताकि कामकाजी और मजदूर वर्ग की महिलाएं बिना चिंता के अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़ सकें। खास बात यह है कि यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर समर्पित की जाएगी और इसे महिला सशक्तिकरण तथा बच्चों की सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि ये पालना क्रेच खासतौर पर मजदूर बस्तियों और गरीब इलाकों में बनाए जाएंगे, जहां बच्चों की देखभाल की सुविधाएं लगभग न के बराबर हैं। वर्तमान में महिलाएं मजबूरी में बच्चों को घर पर अकेला छोड़ देती हैं या उन्हें काम की जगह पर ले जाती हैं, जिससे बच्चे असुरक्षित रहते हैं और मांओं का ध्यान भी काम में नहीं लग पाता।
योजना के लागू होने के बाद, महिलाएं सम्मान और सुरक्षा के साथ काम कर सकेंगी और बच्चे भी सुरक्षित माहौल में खेल-सीख सकेंगे। सरकार ने दावा किया है कि पिछली सरकारों ने गरीब और मजदूर परिवारों की उपेक्षा की, लेकिन यह कदम सीधे उन परिवारों को राहत देगा।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि असली कसौटी होगी कि 500 पालना क्रेच कितनी जल्दी और कितनी पारदर्शिता से जमीन पर उतरते हैं। बड़ा सवाल यह भी है कि क्या यह योजना महज राजनीतिक प्रदर्शन बनकर रह जाएगी या सच में लाखों परिवारों की जिंदगी बदल पाएगी।