नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाने और शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और न्यायसंगत व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक 2025 को विधानसभा में पेश किया है।
शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद ने विधेयक पर चर्चा से पहले अभिभावकों से संवाद किया और भरोसा दिलाया कि यह विधेयक शिक्षा प्रणाली को बेहतर, निष्पक्ष और सबके लिए जवाबदेह बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक सुधार है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि “कुछ लोग इस विधेयक के बारे में भ्रामक प्रचार कर रहे हैं, लेकिन यह मौजूदा कानून को कमजोर नहीं करता, बल्कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 को और मजबूत करता है। यह विधेयक मौजूदा ढांचे में अतिरिक्त सुरक्षा कवच प्रदान करता है।”
विधेयक की मुख्य विशेषताएं:
- दिल्ली के सभी निजी मान्यता प्राप्त सहायता रहित स्कूलों पर लागू होगा।
- प्रत्येक स्कूल को तीन वर्ष की प्रस्तावित फीस संरचना पहले से जमा करनी होगी और तीन वर्षों में एक बार ही बदलाव की अनुमति होगी।
- तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र (स्कूल, जिला और राज्य स्तर) स्थापित किया जाएगा।
- फीस निर्धारण में स्कूल का बुनियादी ढांचा, स्टाफ वेतन और आवश्यक वृद्धि को ध्यान में रखा जाएगा, लेकिन लाभ कमाना प्रतिबंधित होगा।
- स्कूलों को वित्तीय विवरण और प्रस्तावित फीस सार्वजनिक रूप से उजागर करनी होगी।
- अवैध फीस वृद्धि पर ₹1 लाख से ₹10 लाख तक का जुर्माना लगेगा। बार-बार उल्लंघन पर दोगुना या तिगुना जुर्माना।
- फीस को लेकर किसी छात्र को परेशान, अपमानित या स्कूल से निकाला गया, तो प्रति छात्र ₹50,000 का जुर्माना।
- लगातार उल्लंघन होने पर स्कूल की मान्यता रद्द या संचालन सरकार को सौंपा जा सकता है।
- फीस विवाद के दौरान स्कूल केवल पिछले वर्ष की फीस ही वसूल सकता है।
एक और बड़ा प्रावधान: शिक्षा निदेशक को यह अधिकार होगा कि एक अकेली शिकायत पर भी कार्रवाई की जा सके, ताकि मनमानी फीस वृद्धि को रोका जा सके।
श्री सूद ने कहा, “सरकार सभी छात्रों और अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस विधेयक के माध्यम से हम एक ऐसा शिक्षा तंत्र बनाना चाहते हैं जो न्यायपूर्ण, पारदर्शी और उत्तरदायी हो।”
उन्होंने सभी अभिभावकों से विधेयक के समर्थन की अपील की और कहा कि जनभागीदारी ही इस सुधार की सफलता की कुंजी होगी।
अंत में उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा को लेकर अपने संकल्प पर अडिग है और इस विधेयक पर तथ्यों आधारित रचनात्मक संवाद के लिए सदैव तैयार है।