नई दिल्ली: दिल्ली की फ्री बिजली योजना जहाँ एक ओर लाखों परिवारों को राहत देती है, वहीं दूसरी ओर यह अब सरकार के बजट पर भारी बोझ बनती जा रही है। वित्तीय वर्ष 2025–26 में बिजली सब्सिडी का कुल खर्च ₹4,200 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। इसी वजह से पावर विभाग ने केवल बकाया भुगतान क्लियर करने के लिए ही ₹361 करोड़ अतिरिक्त फंड की मांग की है।
सब्सिडी का बोझ कैसे इतना बढ़ा?
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2015–16 में दिल्ली में बिजली सब्सिडी का खर्च सिर्फ ₹1,442 करोड़ था। दस वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर ₹3,600–4,200 करोड़ तक पहुँच गया है।
वार्षिक आँकड़े इस तरह हैं:
- 2015–16: ₹1,442 करोड़
- 2016–17: ₹1,578 करोड़
- 2017–18: ₹1,677 करोड़
- 2018–19: ₹1,699 करोड़
- 2024–25: करीब ₹3,600 करोड़
- 2025–26 (अनुमानित): ₹4,000 करोड़ से अधिक
यह वृद्धि उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने और सब्सिडी के ढांचे से सीधे जुड़ी हुई है।
क्यों बढ़ रहा है सब्सिडी का कुल भार?
दिल्ली में कुल 69 लाख बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें से 83% घरेलू उपभोक्ता हैं — वही श्रेणी जो अधिकतम सब्सिडी लेती है।
2015–16 में कुल उपभोक्ता 52.6 लाख थे।
10 साल में लगभग 16 लाख नए उपभोक्ता जुड़ गए, जिससे सब्सिडी का खर्च लगातार बढ़ता गया।
दिल्ली की फ्री बिजली योजना का फॉर्मूला
दिल्ली में सब्सिडी मॉडल इस प्रकार काम करता है:
- 0–200 यूनिट: बिल पूरी तरह माफ (₹0 बिल)
- 201–400 यूनिट: 50% सब्सिडी (अधिकतम ₹800 तक)
- 400 यूनिट से ऊपर: कोई सब्सिडी नहीं
खपत 200–400 यूनिट वाले उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने से सब्सिडी पर खर्च लगातार बढ़ रहा है।
पावर विभाग को ₹361 करोड़ अतिरिक्त क्यों चाहिए?
सरकार ने इस साल बिजली सब्सिडी के लिए ₹3,849 करोड़ का बजट रखा था, जो पिछले साल से लगभग ₹250 करोड़ अधिक है।
लेकिन पावर विभाग का कहना है कि:
“बकाया भुगतान क्लियर करने के लिए ₹361 करोड़ और जरूरी हैं।”
इससे कुल खर्च बढ़कर ₹4,200 करोड़ के आसपास पहुँच सकता है।
यह प्रस्ताव अब दिल्ली विधानसभा के सर्दियों (विंटर) सत्र में पेश किया जाएगा।
फ्री बिजली मॉडल—सफल या अस्थिर?
फ्री पावर योजना ने दिल्ली में एक नया वेलफेयर मॉडल स्थापित किया है, लेकिन बढ़ते खर्च ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है:
क्या बिजली सब्सिडी इसी पैमाने पर लंबे समय तक जारी रह पाएगी?
क्या यह मॉडल आर्थिक रूप से टिकाऊ है?
आने वाला विधानसभा सत्र इस बहस पर महत्वपूर्ण संकेत देगा।

