नई दिल्ली: दिल्ली के शिक्षा मंत्री श्री आशीष सूद ने आज विधानसभा में “दिल्ली विद्यालय शिक्षा (शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025” पेश किया। उन्होंने इसे दिल्ली के लाखों माता-पिता और करोड़ों छात्रों के लिए एक ऐतिहासिक राहत कदम बताया और कहा कि यह बिल शिक्षा को मुनाफाखोरी से मुक्त करेगा।
“शिक्षा कोई व्यापार नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का माध्यम है। यह बिल एक लंबे समय से लटके हुए मुद्दे का समाधान है जिसे दशकों तक नज़रअंदाज़ किया गया,” सूद ने सदन में कहा।
शिक्षा को बोझ नहीं, भविष्य का रास्ता बनाना है
मंत्री सूद ने कहा कि यह बिल डॉ. मुखर्जी के विजन को सम्मान देने और यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि शिक्षा दिल्ली की जनता के लिए बोझ नहीं बने, बल्कि उनके बेहतर भविष्य का माध्यम बने।
उन्होंने केंद्र सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धियों जैसे राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 हटाना, हर गांव में बिजली पहुंचाना जैसे कदमों का उदाहरण देते हुए कहा कि अब दिल्ली सरकार भी पुराने और जटिल मसलों को सुलझाने में जुटी है। इनमें निजी स्कूलों की बेलगाम फीस वृद्धि एक प्रमुख विषय है।
पहले की सरकारों पर गंभीर आरोप
पूर्व सरकारों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने केवल दिखावटी आदेश निकाले। “वे या तो शिक्षा माफिया से डरते रहे या उनसे मिले हुए थे। कोई ऑडिट नहीं कराया, कोई रिकॉर्ड नहीं रखा, सब कुछ ऐड-हॉक तरीके से चलता रहा,” उन्होंने आरोप लगाया।
साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में सिर्फ 20 नए स्कूल बनाए गए जबकि बाकी स्कूलों की स्वीकृति पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा दी गई थी।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
- यह कानून सभी निजी, मान्यता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा।
- स्कूलों को तीन वर्षों के लिए प्रस्तावित फीस पहले से दाखिल करनी होगी।
- तीन साल में सिर्फ एक बार फीस संशोधन की अनुमति होगी।
- स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर तीन-स्तरीय विनियमन और अपील समितियाँ बनाई जाएंगी।
- फीस निर्धारण के मानदंड तय होंगे, जिसमें स्टाफ वेतन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, महंगाई आदि को ध्यान में रखा जाएगा, लेकिन लाभ कमाने की अनुमति नहीं होगी।
- सभी स्कूलों को अपना वित्तीय रिकॉर्ड और प्रस्तावित फीस सार्वजनिक करनी होगी।
- गैरकानूनी फीस वृद्धि पर ₹1 लाख से ₹10 लाख तक जुर्माना लगेगा। दोहराव पर जुर्माना डबल/ट्रिपल होगा।
- छात्र का नाम काटना या अपमानित करना— ₹50,000 प्रति छात्र जुर्माना।
- बार-बार उल्लंघन पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है या सरकार द्वारा संचालन भी संभव।
- विवाद लंबित रहने की स्थिति में पिछले वर्ष की फीस ही लागू रहेगी।
माता-पिता को पहली बार अधिकार
मंत्री सूद ने कहा, “यह विधेयक नीचे से ऊपर की ओर (bottom-up approach) है, जिसमें पहली बार माता-पिता को निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी दी गई है। अब सरकार वाकई में ‘जनता की, जनता के लिए, जनता द्वारा’ बन रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह बिल केवल पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का ही काम नहीं करेगा, बल्कि छात्रों, माता-पिता और स्कूलों के सभी हितधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।