नई दिल्ली: दिल्ली में 1 नवंबर से लागू होने जा रहे BS3 और BS4 कमर्शियल वाहनों के प्रतिबंध ने महंगाई के नए दौर की आहट दे दी है।
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के तहत आदेश जारी किया है कि अब राजधानी में केवल BS6 वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति होगी।
सरकार के इस कदम से ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हड़कंप मच गया है। दिल्ली गुड्स एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि इससे सब्ज़ियों, दूध, फल और अन्य जरूरी वस्तुओं के दाम 10–15% तक बढ़ सकते हैं।
“सप्लाई चेन पर पड़ेगा सीधा असर” — राजेंद्र कपूर
एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने कहा:
“यह फैसला दिल्ली के आम आदमी पर सीधा असर डालेगा।
150–200 किलोमीटर के दायरे से आने वाला दूध, सब्ज़ी, फल, मक्खन जैसी रोजमर्रा की चीजें ज्यादातर BS3 और BS4 गाड़ियों से ही आती हैं। अब जब इन गाड़ियों का प्रवेश बैन होगा, तो मंडियों में सप्लाई घटेगी और महंगाई बढ़ेगी।”
60% ट्रक फ्लीट पर बैन, मंडियों में संकट
कपूर ने बताया कि दिल्ली में इस वक्त करीब 25% BS3 और 35% BS4 ट्रक चल रहे हैं — यानी कुल 60% फ्लीट इस प्रतिबंध से प्रभावित होगी।
“दिल्ली की मंडियों — आजादपुर, नरेला और गाजीपुर — में लोकल डिलीवरी इन्हीं वाहनों से होती है। इनके बिना डिलीवरी चेन टूट जाएगी,” उन्होंने कहा।
प्रदूषण घटा नहीं, जिम्मेदारी तय हो
ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि पिछले दो हफ्तों में वाहनों की संख्या कम होने के बावजूद दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार खराब है।
“सरकारी एजेंसियों को अपने एसी दफ्तरों से निकलकर देखना चाहिए कि असली प्रदूषण के स्रोत कौन हैं। सिर्फ ट्रकों पर बैन लगाकर समस्या हल नहीं होगी,” कपूर ने टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट में राहत की तैयारी
कपूर ने बताया कि BS4 वाहनों को 2021 में रजिस्टर किया गया था, और मालिक अब भी किश्तें चुका रहे हैं।
“चार साल में कोई ट्रक ओनर अपनी लागत नहीं निकाल सकता। इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे ताकि बैन में राहत मिल सके,” उन्होंने कहा।
महंगाई का नया दौर
ट्रांसपोर्ट यूनियन के मुताबिक, अगर दिल्ली सरकार बैन पर कायम रहती है, तो आने वाले दिनों में —
- सब्ज़ियों के दाम 15% तक
- दूध और डेयरी उत्पादों के दाम 10% तक
- और किराना व फल की कीमतों में औसतन 12% तक बढ़ोतरी हो सकती है।
“दिल्ली के उपभोक्ता को आने वाले हफ्तों में हर चीज़ की कीमत में उछाल देखने को मिलेगा,” कपूर ने चेतावनी दी।
पॉलिसी और पॉल्यूशन के बीच फंसा आम दिल्लीवासी
जहां सरकार का दावा है कि यह कदम प्रदूषण को काबू करने के लिए जरूरी है, वहीं ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि यह फैसला बगैर ग्राउंड रियलिटी समझे लिया गया है।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहां से किसी राहत की उम्मीद की जा रही है।

