नई दिल्ली: दीवाली से पहले राजधानी दिल्ली में महिलाओं ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के घर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से चुनाव के दौरान किए गए मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने के वादे को पूरा करने की मांग की। हाथों में बैनर और पोस्टर लिए महिलाओं ने कहा कि त्योहारों के मौके पर हर घर को मुफ्त सिलेंडर दिया जाए ताकि वे अपने परिवार के साथ खुशियों भरा त्यौहार मना सकें।
शालीमार बाग स्थित सीएम आवास के बाहर महिलाओं ने नारेबाजी करते हुए कहा — “होली निकल गई, लेकिन हमारे घर में मिठाइयाँ नहीं बनीं। अब दिवाली आ गई है, कम से कम अब हमें मुफ्त सिलेंडर दीजिए।”
इस प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसमें महिलाएं हाथों में सिलेंडर की तस्वीरों वाले पोस्टर लेकर नारे लगाती नजर आ रही हैं।
आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर साधा निशाना
आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस प्रदर्शन का समर्थन करते हुए बीजेपी पर चुनावी वादा तोड़ने का आरोप लगाया।
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने प्रदर्शन का वीडियो साझा करते हुए एक्स (ट्विटर) पर लिखा —
“दीवाली का फ्री सिलेंडर मांगने शालीमार बाग की महिलाएं सीएम रेखा गुप्ता के घर पहुंची हैं। मोदी की गारंटी थी — होली और दीवाली पर हर घर को फ्री सिलेंडर।”
उन्होंने आगे एक और पोस्ट में तंज कसते हुए लिखा — “कोई सीएम रेखा गुप्ता जी को बताएं — होली तो निकल गई, अब दीवाली आ गई, फ्री सिलेंडर कब मिलेंगे?”
आप पार्टी ने एक और वीडियो शेयर किया जिसमें दावा किया गया कि दिल्ली की जनता ने गैस सिलेंडर डिलीवरी एजेंट से पूछा, “हमारा फ्री सिलेंडर कब आएगा?” पार्टी ने कहा कि बीजेपी ने चुनाव से पहले यह वादा किया था कि जीतने पर हर घर को होली और दीवाली पर मुफ्त सिलेंडर दिया जाएगा, लेकिन अब तक वादा पूरा नहीं हुआ है।

बीजेपी की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं
इस प्रदर्शन पर बीजेपी या मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के कार्यालय की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
यह पहली बार नहीं है जब इस मुद्दे को लेकर विरोध हुआ हो — मार्च 2025 में भी आम आदमी पार्टी ने राजधानी के करीब 40 स्थानों पर मुफ्त एलपीजी सिलेंडर की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मुद्दा आने वाले दिल्ली विधानसभा और निगम चुनावों से पहले बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच टकराव को और तेज कर सकता है, क्योंकि महंगाई और रसोई गैस की कीमतें अब भी दिल्ली के मध्यम वर्ग के लिए बड़ा मुद्दा बनी हुई हैं।

