नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) ने राजधानी की डेयरी कॉलोनियों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने की योजना की घोषणा की है ताकि गोबर जैसे जैविक कचरे का वैज्ञानिक रूप से निपटान किया जा सके और यह अपशिष्ट यमुना नदी में बहने से रोका जा सके। पहला बायोगैस प्लांट नांगली डेयरी में अगस्त से चालू हो जाएगा, जबकि गोयला और घोघा डेयरी में निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है और अगले वर्ष तक पूरा होने की संभावना है।
स्थायी समिति की अध्यक्ष श्रीमती सत्या शर्मा ने बताया कि नांगली और गोयला क्षेत्रों में लगभग 1,500 डेयरियाँ संचालित होती हैं, जो प्रतिदिन बड़ी मात्रा में गोबर उत्पन्न करती हैं। यह गोबर छोटे नालों के ज़रिए नजफगढ़ ड्रेन में पहुंचता है, जो सीधे यमुना में गिरता है, जिससे नदी का प्रदूषण बढ़ता है।

शर्मा ने कहा, “इन बायोगैस संयंत्रों से 200 टन गोबर प्रतिदिन वैज्ञानिक तरीके से संसाधित किया जाएगा। यह परियोजना न केवल यमुना को साफ रखने में मदद करेगी, बल्कि दिल्ली को स्वच्छ और हरित बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।”
उन्होंने जानकारी दी कि प्रत्येक संयंत्र लगभग ₹16 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है, और इनसे कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) और जैविक खाद का उत्पादन होगा। सीएनजी का उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाएगा जबकि जैविक खाद को नगर निगम की बागवानी परियोजनाओं में प्रयोग किया जाएगा।
हाल ही में मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने नगर निगम को निर्देश दिया कि वह यमुना सफाई में अपने स्तर पर गंभीर प्रयास करे। इस निर्देश के बाद एमसीडी ने इन परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाया है।
स्थायी समिति की बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि प्लांट की स्थापना और संचालन में कोई अनावश्यक देरी न हो। शर्मा ने कहा, “यह पहल पर्यावरण संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और स्थानीय स्वच्छता में सुधार की दिशा में निर्णायक साबित होगी।”
इस परियोजना के मुख्य लाभ:
- यमुना नदी में गोबर और कचरे के बहाव पर रोक
- सीएनजी जैसी स्वच्छ ऊर्जा का स्थानीय उत्पादन
- जैविक खाद की आपूर्ति से बागवानी को बढ़ावा
- दुर्गंध और अस्वच्छता में कमी
अंत में शर्मा ने कहा कि यह परियोजना दिल्ली सरकार की स्वच्छ और हरित राजधानी की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है।