नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर 207 मीटर तक पहुंच गया, जिसके चलते राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है। मजनू का टीला, मदनपुर खादर और बदरपुर जैसे इलाकों में घर और बाजार जलमग्न हो गए, लोग अपने सामान और जीवन बचाने के लिए मजबूरन घर छोड़कर सड़क किनारे बने राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं।
अधिकारियों ने बुधवार दोपहर 1 बजे यमुना का जलस्तर 207 मीटर दर्ज किया। प्रशासन ने निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया और ओल्ड रेलवे ब्रिज को यातायात के लिए बंद कर दिया। लेकिन विस्थापित परिवारों के लिए असली संघर्ष तब शुरू होगा जब पानी उतरने लगेगा—तब उन्हें अपने घर और रोज़गार दोबारा खड़ा करना होगा।

मजनू का टीला में दुकानें पानी में डूब गईं। दुकानदार अनूप थापा ने कहा, “हमने रात 11 बजे तक सामान हटाने की कोशिश की, लेकिन काफी माल खराब हो गया। पानी उतरने के बाद भी दुकान की मरम्मत पर खर्च करना पड़ेगा। यह 2023 के बाद दूसरी बार हुआ है। सरकार को इलाके को सुधारना चाहिए ताकि दोबारा ऐसी स्थिति न बने।”
थापा अपनी पत्नी और तीन साल की बेटी के साथ अब सड़क किनारे टेंट में रह रहे हैं। इलाके में बिजली के तार बाढ़ के पानी के ऊपर खतरनाक रूप से लटकते दिखे।
मदनपुर खादर में झुग्गियां बह जाने के बाद लोग प्लास्टिक शीट के नीचे शरण ले रहे हैं। निवासी तैयारा ने कहा, “हम अपना सामान नहीं निकाल पाए। महिलाएं शौचालय न होने से सबसे ज्यादा परेशानी झेल रही हैं।” कई परिवार सिर्फ बिस्कुट और बन खाकर दिन गुजार रहे हैं क्योंकि उनके पास खाने बनाने की सुविधा नहीं है।
मोनास्ट्री मार्केट के दुकानदार सचिन यादव ने बताया, “हमारी दुकान कल से बंद है। पूरा परिवार इसी पर निर्भर है। जब तक पानी नहीं उतरता, कोई आमदनी नहीं होगी।”
यमुना बाजार का नज़ारा ऐसा था जैसे घर और दुकानें नदी के बीच खड़े हों। वहीं बदरपुर में मकानों की छतें ही पानी के ऊपर दिख रही थीं। निवासी आसिफ ने कहा, “सालों की मेहनत से बनाया घर अब डूब चुका है। हम कहां जाएं? अभी भी कई लोग अंदर फंसे हैं।”
कई जगह लोग बुजुर्ग माता-पिता को कमर तक पानी में पकड़कर निकालते दिखे, तो कहीं सड़क किनारे छोटे टेंटों में परिवारों ने जैसे-तैसे सामान बचाकर शरण ली। गाड़ियां, मोटरसाइकिल और फर्नीचर सब पानी में डूब गए।
राजधानी दिल्ली का यह बाढ़ संकट एक बार फिर निचले इलाकों की असुरक्षा और प्रशासनिक लापरवाही को सामने ला रहा है। लोग अब सिर्फ राहत का नहीं बल्कि स्थायी समाधान का इंतजार कर रहे हैं।