नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने एक फर्जी एसिड अटैक केस का बड़ा पर्दाफाश किया है, जिसमें जांच में खुलासा हुआ कि यह पूरा मामला यौन शोषण और ब्लैकमेल के पुराने केस को पलटने की साजिश के तहत रचा गया था।
स्पेशल सीपी (लॉ एंड ऑर्डर) रविंद्र यादव ने बताया कि पुलिस की जांच में यह साबित हुआ कि जिस व्यक्ति पर आरोप लगाए गए थे वह निर्दोष था, और उसके खिलाफ झूठी कहानी गढ़ी गई थी।
“हमारी टीम ने बहुत गहराई से जांच की और हमें संतुष्टि है कि हमने एक निर्दोष व्यक्ति को झूठे आरोपों से बचाया,” रविंद्र यादव ने कहा।
उन्होंने बताया कि यह मामला भारत नगर थाना क्षेत्र का है, जहां एक कॉलेज छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जब वह लक्ष्मीबाई कॉलेज जा रही थी, तब तीन लोगों ने बाइक से उसके ऊपर एसिड फेंकने की कोशिश की। शिकायत पर तुरंत FIR दर्ज की गई।
लेकिन जब जांच शुरू हुई, तो जिस व्यक्ति का नाम लिया गया था, उसने बताया कि वह उस वक्त करोल बाग में काम कर रहा था।
“हमने जब उसकी लोकेशन और मोबाइल डाटा चेक किया, तो वह घटना के वक्त करोल बाग में ही पाया गया। सीसीटीवी फुटेज में भी वह वहीं काम करते हुए दिखा,” यादव ने कहा।
फिर गवाहों से पूछताछ में भी यह बात साफ हुई कि आरोपी घटना स्थल पर था ही नहीं।
“तीन तरह के सबूत — तकनीकी, प्रत्यक्ष और परिस्थितिजन्य — सभी ने यह साबित किया कि वह व्यक्ति उस समय वहां मौजूद नहीं था,” उन्होंने बताया।
इसके बाद पुलिस ने मामले की तह तक जाने के लिए कई टीमें गठित कीं, और सच्चाई कुछ और ही निकली।
जांच में सामने आया कि लड़की के पिता पर उसी व्यक्ति की पत्नी ने दो दिन पहले यौन शोषण और ब्लैकमेल की FIR दर्ज कराई थी।
“दबाव बनाने के लिए छात्रा और उसके परिवार ने यह झूठा एसिड अटैक केस बनाया ताकि आरोपी की पत्नी अपने केस को वापस ले ले,” रविंद्र यादव ने खुलासा किया।
जांच में यह भी पता चला कि छात्रा द्वारा नामजद किए गए दो लड़के उसके दूर के रिश्तेदार थे। वहीं परिवार का नाम एक पुराने 2018 के मंगोलपुरी एसिड अटैक केस में भी आया था, जो अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
“इन सबने पारिवारिक साजिश के तहत सोचा कि एक झूठे केस से दो फायदे — यौन शोषण केस खत्म हो जाएगा और पुराने एसिड केस में सजा से बचाव होगा,” यादव ने कहा।
पूरे षड्यंत्र की कहानी इस तरह सामने आई —
छात्रा का भाई उसे मुकुंदपुर से अशोक विहार स्कूटी पर लेकर आया, कॉलेज से थोड़ी दूरी पर उतारा, वहां से उसने ई-रिक्शा पकड़ा, फिर कॉलेज से करीब 300 मीटर पहले उतरकर एक कॉल की कि “मेरे ऊपर एसिड फेंका गया है।”
पुलिस ने इलाके के सभी CCTV फुटेज खंगाले, लेकिन किसी भी कैमरे में घटना नजर नहीं आई।
“जहां वह दावा कर रही थी वहां कोई फुटेज नहीं था, लेकिन आसपास के कैमरों में उसके परिवार वाले जरूर दिखे। आरोपित लोग वहां थे ही नहीं,” यादव ने कहा।
फिलहाल इस केस में अकील खान नाम का एक व्यक्ति गिरफ्तार हुआ है, लेकिन वह यौन शोषण केस में गिरफ्तार हुआ है, न कि इस झूठे एसिड केस में।
“हम कोर्ट में पूरे सबूत के साथ रिपोर्ट पेश करेंगे। फर्जी FIR को कैंसिल करने और झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ नया केस दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है,” यादव ने बताया।
दिल्ली पुलिस अब अदालत में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी, ताकि पहली झूठी FIR को रद्द किया जा सके और फर्जी केस दर्ज करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जा सके।

