नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने राजधानी में 10 साल बाद सर्कल रेट को रिवाइज करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस फैसले से दिल्ली में प्रॉपर्टी और किराए के दामों में बढ़ोतरी की संभावना है।
रेखा गुप्ता सरकार ने सर्कल रेट रिवीजन की प्रक्रिया के पहले चरण में पब्लिक नोटिस जारी किया है। इसके तहत स्थानीय निवासियों, आरडब्ल्यूए, उद्योग संगठनों और प्रॉपर्टी मालिकों से 15 दिनों के भीतर सुझाव मांगे गए हैं। जनता से मिले सुझावों के आधार पर सर्कल रेट को संशोधित किया जाएगा।
क्या होता है सर्कल रेट?
सर्कल रेट किसी जमीन, मकान या कमर्शियल प्रॉपर्टी की सरकार द्वारा तय न्यूनतम कीमत होती है, जिस पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क तय किया जाता है। दिल्ली में आखिरी बार फरवरी 2015 में सर्कल रेट बदले गए थे।
राजस्व विभाग की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि इस कदम का उद्देश्य मौजूदा बाजार दरों के अनुरूप सरकारी दरें तय करना और संपत्ति लेन-देन में पारदर्शिता लाना है। नागरिक अपने सुझाव suggestionondelhicirclerates@gmail.com पर भेज सकते हैं।
दिल्ली में संपत्तियों को A से H कैटेगरी में बांटा गया है —
- कैटेगरी A में दिल्ली की सबसे पौश कॉलोनियां शामिल हैं,
- जबकि कैटेगरी H में गांव, देहात और अनधिकृत कॉलोनियां आती हैं।
नए सर्कल रेट लागू होने के बाद प्रीमियम इलाकों की प्रॉपर्टीज सबसे महंगी हो सकती हैं। इससे राजधानी में किराए और प्रॉपर्टी टैक्स दोनों में बढ़ोतरी संभव है।
इस साल जून में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सर्कल रेट रिवीजन पर उच्च स्तरीय बैठक की थी। उसी बैठक में तय किया गया था कि जनता से राय लेकर दरें तय की जाएंगी।
नई नीति लागू होने के बाद यह रिवीजन दिल्ली के रियल एस्टेट सेक्टर को वर्तमान बाजार मूल्य के अनुरूप लाएगा, राजस्व बढ़ाएगा और राजधानी में संपत्ति पंजीकरण को अधिक पारदर्शी बनाएगा।