दिल्ली: दिल्ली सरकार ने यमुना नदी की सफाई और राजधानी की जल आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board), डीजेपी को अधिक वित्तीय स्वायत्तता प्रदान की है। अब बोर्ड को 50 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही स्वीकृत करने का अधिकार मिल गया है।
सरकारी बयान के अनुसार, दिल्ली जल बोर्ड अब अपने बजट आवंटन से करोड़ों की लागत वाली परियोजनाओं को स्वतंत्र रूप से मंजूरी देकर तेजी से लागू कर सकेगा। नए नियमों के तहत, डीजेपी अध्यक्ष 50 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को, सीईओ 25 करोड़ रुपये तक और प्रशासन/जल आपूर्ति/ड्रेनेज से संबंधित सदस्य 5 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी दे सकेंगे।
बयान में कहा गया है कि इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी और कार्यान्वयन में अनावश्यक देरी को रोका जा सकेगा। इस प्रणाली के माध्यम से जल आपूर्ति के लिए नई पाइपलाइनों का बिछाव, बूस्टर पंपिंग स्टेशन और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण तेजी से किया जा सकेगा, जिससे दिल्लीवासियों को जल्द राहत मिलेगी।
दिल्ली सरकार ने आज ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जल बोर्ड को पहली बार निर्णय लेने और काम पूरा करने की असली ताक़त दी है। अब यह संस्था नाम मात्र की नहीं बल्कि सही मायनों में स्वायत्त और सक्षम बन गई है।
— CMO Delhi (@CMODelhi) July 5, 2025
अब दिल्ली जल बोर्ड यमुना की सफ़ाई, नालों के उपचार और पेयजल व्यवस्था से जुड़ी तमाम… pic.twitter.com/YyxrKvZEQL
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, “अब बोर्ड यमुना शुद्धिकरण, नालों के जल का उपचार और नियमित जल आपूर्ति में सुधार जैसे उच्च लागत वाले प्रोजेक्ट्स को स्वतंत्र रूप से लागू कर सकेगा, जिसके लिए अब कैबिनेट मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने डीजेपी से उसके सभी वित्तीय अधिकार छीन लिए थे, जिससे यमुना की सफाई, आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम और जल आपूर्ति परियोजनाएं ठप हो गई थीं।
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गुप्ता ने कहा, “इसका परिणाम यह हुआ कि यमुना प्रदूषित ही रही और दिल्लीवासियों को अनियमित जल आपूर्ति की समस्या से जूझना पड़ा।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अब जल बोर्ड की पूरी कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया गया है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी और हर स्तर पर उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जा सकेगा।